Rumored Buzz on Shiv chaisa
Rumored Buzz on Shiv chaisa
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सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
अर्थ- हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से कांपने लगे आपने ही सब पर मेहर बरसाते हुए इस विष को अपने कंठ में धारण किया जिससे आपका नाम नीलकंठ हुआ।
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
दिवाली से पहले बन रहा Shiv chaisa गुरु पुष्य योग, जानें सबसे अच्छा क्यों है?
गंगा जटा में Shiv chaisa तुम्हारी, हम प्यासे यहाँ ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
महाशिवरात्रि मनाने के आध्यात्मिक कारण
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अस्तुति Shiv chaisa चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
जय सन्तोषी मात अनूपम। शान्ति दायिनी रूप मनोरम॥ सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर ललित अनुपा॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥